मथुरा में बसकर नंद नंदन ,
तुम राधा को क्यों भूल गए |
कुबजा के संग खेली होली ,
सखियों को रंगना भूल गए ||
जमुना तट पर खड़ी विरही ,
तेरी बाट निहार रही |
आएँगे प्रियतम मेरे ,
मन में यही विचार रही ||
झूमेंगी गोकुल की गलियाँ ,
नव पल्लव की हरियाली में |
गऊओं की रम्भार कहेगी ,
बीतेंगे दिन खुशहाली में ||
ग्वालों की निकलेगी टोली ,
लेकर रंग भरी पिचकारी |
छूटेंगी न एको सखियाँ ,
गोरी , साँवली या कली ||
भावों का अम्बार सजा है ,
रस्ता देख रही राधा प्यारी |
सावन बीता आया फागुन ,
अब तो आ जाओ गिरधारी ||
वाह ।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
वर्ड वेरिफिकेशन डिसैबल करें तो टिप्पणी करने में आसानी हो जायेगी :)