अभिव्यंजना
अंतर्मन में उद्वेलित भावों को अभिव्यंजित करने का सूक्ष्म प्रयास.....
Saturday, 15 March 2014
मन की उड़ान
चंचल मन , उड़ता चल
दूर गगन के पार |
न हो बंधन , न हो क्रंदन
खुले प्रेम का द्वार ||
मन का मीत , प्रेम का गीत
कलरव की हो गूँज अपार |
पिया मिलन की क्षणिकाओं में
क्षितिज में भी उमड़ा प्रेम अपार ||
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment