बेचैनियों से घिरी मैं ,
जानकर भी अनजान मैं ,
अज्ञान को समेटे हुए ,
लुभावनी राह पर मैं |
अपने ही अहसासों से अनजान मैं ,
खुद की आकांक्षाओं से घिरी मैं ,
समझकर भी नादान मैं ,
तुम्हारी आँखों से मोहित मैं ,
मधुर - मुस्कान की चाह में मैं ,
प्रेम रूपी सागर में डूबी मैं ,
यादों में सदा खोई हुई मैं ,बस मिलने को बेकरार मैं ,
तुममें खो जाने को तैयार मैं ,सपनों को सच करती हुई मैं ,
' प्रिय ' से मिलने को तैयार मैं ,
अंधकार से खिलते प्रकाश में मैं ,
बस उस शांति की तलाश में मैं |
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