Tuesday 17 January 2023

 

नेपाल विमान हादसे से मन अत्यंत व्यथित हुआ अत: ह्रदय की वेदना को शब्दबद्ध करने का प्रयास किया गया है -

हाय! मन

आशाओं के लिबास में लिपटा

मदमस्त ये मन

आकांक्षाओं की पेंग भरता,

अपने-अपने आशियाने को तज

निकलता ये मन

किसी को किसी से मिलने की ललक

तो कोई लुत्फ़ उठाने को बेकरार सैरगाहों की

आसमान को छूने की आशाओं में निकलता

कामगार ये मन

अपने में लीन हँसते-खिलखिलाते

मिलते-मिलाते

कुछ सुनते, कुछ सुनाते

कट रहा होता है ये सुहाना सफर

बादलों की ओट से निकलता,

आकाश की उँचाइयों को छूता

प्रकृति के मनोरम दृश्यों को

अपने अंतर्मन में समेटता

निर्द्वन्द्व ये मन

भविष्य के गर्भ में छुपे उस हादसे से,

टूट जाता है छूट जाता है

हताशा के कोनलों को तोड़

बिखर जाता है

हताश ये मन

किसी की अदना-सी लापरवाही का

दरिंदों की साजिश का

या फिर भाग्य की कारस्तानी का

शिकार हो जाता है

बेचारा ये मन

अरमानों की बलि चढ़ता

सृष्टा की सृष्टि से विरक्त हो

आत्मतत्व में विलीन हो जाता है

मनचला ये मन

अपनों के दर्द का कारण बन

बीते हुए लम्हों की कसक का

हेतु मात्र रह जाता है

निश्छल ये मन

 हाय रे! ये मन

 

 

 


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