कतरा - कतरा रक्त का
बहा के पाया था हमने जिसे |
आज वही है दर - बदर ,
आज वही है दर - बदर ,
पूछती शहीदों का हमसे पता ||
कल विदेशी बेड़ियों में थी जो जकड़ी हुई ,
आज अपने ही सपूतों के ज़ख्मों से घायल हुई |
कल विदेशी बेड़ियों में थी जो जकड़ी हुई ,
आज अपने ही सपूतों के ज़ख्मों से घायल हुई |
आतंक भ्रष्टाचार ने ,
उसकी छाती पर है तांडव किया |
जाति - पाति के भेद ने ,
गरिमा को सदा कलंकित किया |
पलायनवादी प्रवृत्ति ने ,
ममता को क्षत - विक्षत किया |
और धरा की निर्धन प्रजा को ,
मँहगाई ने दण्डित किया ||
हे ! धरा के वीर सपूतों ,
देशभक्ति का भाव भरो |
रक्तरंजित हुई धरा को ,
स्वर्ण सरसिज से विहसित करो ||
उसकी छाती पर है तांडव किया |
जाति - पाति के भेद ने ,
गरिमा को सदा कलंकित किया |
पलायनवादी प्रवृत्ति ने ,
ममता को क्षत - विक्षत किया |
और धरा की निर्धन प्रजा को ,
मँहगाई ने दण्डित किया ||
हे ! धरा के वीर सपूतों ,
देशभक्ति का भाव भरो |
रक्तरंजित हुई धरा को ,
स्वर्ण सरसिज से विहसित करो ||
भावों की गहन अभिव्यक्ति सुंदर अतिसुन्दर बधाई
ReplyDeleteसार्थक रचना, सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDelete"शुभ दीपावली"
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मंगलमय हो शुभ 'ज्योति पर्व ; जीवन पथ हो बाधा विहीन.
परिजन, प्रियजन का मिले स्नेह, घर आयें नित खुशियाँ नवीन.
-एस . एन. शुक्ल
आप सभी के प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद !
ReplyDeleteदीपों की अवली में
सौहार्द का संदेश हो |
वाणी की मिठास से
एकत्व का प्रकाश हो ||
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !